हम आँखों से शुभ ही सुनें और नेत्रों से भी शुभ ही देखें, अपने मजबूत अंगों से, हे प्रभो! आपकी स्तुति करते हुवे हम शरीर से मर्यादा के अनुकूल हितकारी एवं कल्याणकारी आयु को भली भांति प्राप्त हों |
--ऋग्वेद
महात्मा हंसराज महात्मा हंस राज जी का जन्म १९ अप्रैल १८६४ को पंजाब प्रान्त में होशियारपुर जिले के बजवाडा नामक स्थान पर हुआ था I इनके पिता श्री चुन्नी लाल जी साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते थेI इनका बचपन अभावों में बिता था, ये बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थेI मात्र १२ वर्ष की उम्र में इनके पिता का देहांत हो गया I सन १८८५ में जब वो लाहौर में अपने बड़े भाई मुल्क राज के यहाँ रह के शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उसी समय लाहौर में महर्षि दयानंद जी के सत्संग में जाने का अवसर मिला I महर्षि के इस प्रवचन का युवक हंसराज पर बहुत प्रभाव पड़ा I महर्षि ने इस प्रवचन में मानव जीवन को सफल बनाने के लिए छः बातों का निर्देश दिया था ---
1. विद्या के पठन- पाठन से अपने मन का विकास करना I
२. जीवन में उत्तम स्वाभाव तथा उत्तम शिक्षा का ग्रहण करना चाहिए I
३. सदा सत्य बोलने की कोशिश करनी चाहिए I
४. जीवन की समस्त विलासिताओं से दूर रहना चाहिए जिससे की अहंकार न उत्पन्न हो I
५. जितना हो सके संसार का कष्ट दूर करने की कोशिश करनी चाहिए I
महर्षि के बताये गए इन सिद्धांतों को हंसराज जी ने जीवन भर अनुकरण किया I
समाज सेवक महात्मा हंसराज तब विद्यार्थी ही थे। वे आवश्यक कार्यों से बचा सारा समय मोहल्ले के गरीब तथा अनपढ़ लोगों की चिट्ठी-पत्री पढ़ने और लिखने में ही लगा देते थे। जब परीक्षानिकट आई तो उनकी माता ने कहा- ' क्यों रे , तू सारा दिन दूसरों की ही लिखा-पढ़ी करता रहेगा या कभी अपनी भी पढ़ाई करेगा?'
इस पर बालक हंसराज बोला- ' मां यदि पढ़ाई-लिखाई का लाभ अकेले ही उठाया तो क्या फायदा। शिक्षा की उपयोगिता तभी है ,जब इससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें। '
जब सर्वप्रथम आर्यसमाज संस्था द्वारा बच्चों की शिक्षा के लिए स्कुल कालेज खोले गए तो मुख्य समस्या पैसों की आई I उन्होंने उसी समय निर्णय लिया की वो स्कुल के अवैतनिक प्रधानाचार्य पद ग्रहण के लिए तैयार हैं I इसके लिए उनके बड़े भाई मूलराज ने भी अनुमति दे दी तथा उनके परिवार के समस्त खर्च वहन करने की जिम्मेद्वारी भी ले ली I
उन्होने २२ वर्ष की आयु में डीएवी स्कूल में प्रधानाचार्य के रूप में अवैतनिक सेवा आरम्भ की जिसे २५ वर्षों तक करते रहे। अगले २५ वर्ष उन्होने समाज सेवा के लिये दिये।
१ जून १८८६ को आर्यसमाज लाहौर के भवन में डी ए वी स्कुल खोल दिया गया I
१९८९ में इसने कालेज का रूप ले लिया १९९६ तक तो यहाँ इंजीनियरिंग की कक्षाएं भी चलने लगीं I उन्होंने अपने जैसे ही सैकड़ों सदस्य इस संस्था के साथ जोड़े,जो आजीवन नाम मात्र के वेतन में कम करते रहे I
व्यक्ति यदि खुद आदर्श का प्रतीक बन जाये तो दुसरे लोग जल्दी उससे प्रभावित एवं आकर्षित होते हैं I कालेज के प्रिंसपल होने के वावजूद महात्मा हंसराज एकदम सादे से मकान में अत्यंत सादा जीवन बिताते थे I खद्दर का कुरता -पैजामा तथा बिस्तर के नाम पे लकड़ी का एक तख़्त I सादा जीवन उच्च विचार वाला जीवन था उनका I इसके अलावा देश में अगर कहीं भी अकाल या बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा आती तो ये अपने साथियों के साथ बढ़ चढ़ के यथा संभव मदद करने की कोशिश करते I
सन् १९२२ में हंसराज जी के कार्यकर्ताओं ने केरल के २५०० से अधिक लोगोंको पुन: हिन्दू धर्म में वापस लाये। ये लोग मोपला विद्रोह में बलात् मुसलमान बना दिये गये थे। विकट परिस्थितियों के बावजूद भी यह कार्य महात्मा हंसराज के नेतृत्व में एक शिविर लगाकर लाला कौशल चन्द और पंडित मस्तान चन्द ने किया।
सन् १८९५ में बीकानेर में आये भीषण अकाल के दौरान दो वर्षों तक बचाव व सहायता का कार्य किया और इसाई मिशनरियों को सेवा के छद्मवेश में पीड़ित जनता का धर्म-परिवर्तन करने से रोका। लाला लाजपत राय इस कार्य में अग्रणी रहे।
जोधपुर के अकाल में लोगों की सहायता - १४००० अनाथ बच्चे आर्य आनाथालयों में पालन-पोषण के लिये लिये गये।
७४ साल की उम्र तक सक्रिय रह कर तपस्वी का सा जीवन बिताते हुवे १५ नवम्बर १९३८ को महात्मा हंसराज चिर निंद्रा में सो गए
लाला हंसराज (महात्मा हंसराज) (१९ अप्रैल, १८६४ - १५ नवम्बर, १९३८) अविभाजित भारत के पंजाब केआर्यसमाज के एक प्रमुख नेता एवं शिक्षाविद थे। पंजाब भर में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की स्थापना करने के कारण उनकी कीर्ति अमर है।
वस्तुतः महात्मा हंसराज का चिंतन और दृष्टिकोण आज भी उतना ही सार्थक और प्रासंगिक है
महात्मा हंसराज जी की जीवनी पढ़ कर मन प्रसन्नता से भर गया --उनके बारे मे जानकारी बहुत लाजबाब रही --उनके आदर्शो को जीवन में उतारना जरूरी है -- एक निहायती साफ सुधरी पोस्ट धन्यवाद --
ReplyDeleteमदन जी
ReplyDeleteआप धन्य हैं और हम सब भी धन्य हैं जो महात्मा हंसराज जी जैसे
महान आत्मा के बारे में आपके इस सशक्त लेख के माध्यम से जानने को मिला.आप अपने लेखन में मंगल तत्व के साथ साथ रस का भी संचार करते जा रहे हैं.ऋग्वेद से यह उद्धरण मन को बहुत भाया;
"हम आँखों से शुभ ही सुनें और नेत्रों से भी शुभ ही देखें, अपने मजबूत अंगों से, हे प्रभो! आपकी स्तुति करते हुवे हम शरीर से मर्यादा के अनुकूल हितकारी एवं कल्याणकारी आयु को भली भांति प्राप्त हों |"
बहुत बहुत आभार आपका.
शुभागमन...!
ReplyDeleteकामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें ।
बेहतरीन आलेख ! आभार....
शुभागमन...!
ReplyDeleteकामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें ।
बेहतरीन आलेख ! आभार..
जिस दिन हमें भगवान के ऊपर विश्वास करनेवाले बहुत सारे स्त्री-पुरुष मिल जायें जो केवल अपना जीवन मनुष्यता की सेवा और पीड़ित मनुष्य की भलाई के सिवाय और कहीं समर्पित कर ही नहीं सकते. उसी दिन से मुक्ति के युग का शुभ आरंभ होगा.
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ReplyDeleteआदरणीय मदन शर्मा जी
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आलेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर और आपने जो जानकारी उसके लिए आपका धन्यवाद
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ReplyDeleteमदन जी मेरा नमस्ते स्वीकार कीजिये!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आलेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर
स्वामी दयानंद जी के बारे में भी बताया होता ज्यादा ठीक होता ।
April 18, 2011 9:10 AM
महात्मा हंसराज के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा .....पोस्ट कई अर्थपूर्ण बातें समेटे है..... आभार इस सार्थक पोस्ट के लिए.....
ReplyDeletereally very informative and memorable post.
ReplyDeletereally very informative and memorable post.
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteवस्तुतः महात्मा हंसराज का चिंतन और दृष्टिकोण आज भी उतना ही सार्थक और प्रासंगिक है
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज जी के बार पढ कर बहुत अच्छा लगा, आप का धन्यवाद
ReplyDeleteआदरणीय मदन शर्मा जी
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आलेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर और आपने जो जानकारी उसके लिए आपका धन्यवाद
आदरणीय मदन शर्मा जी, बहुत ही अच्छा लगा विस्तृत आलेख पढ़ कर. अनुसरण योग्य बातें बताई हैं आपने, सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपका आभार.
ReplyDeleteआदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते! आपका यहाँ आने के लिए बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteआपके सुझाव सर आँखों पर!! आशा है यूँ ही आप दर्शन देती रहेंगी!
आपका आभार !!
<आदरणीय राकेश कुमार जी ,
ReplyDelete<प्रभागौतम जी
<शिवशंकर जी
<अजय तलवार जी
<डा .मोनिका शर्मा जी
<शिरीष रंजन जी
<सूर्य देवी चतुर्वेदी जी
<राज भाटिया जी
<संजय भास्कर जी तथा
<अरविन्द जांगिड जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ..........
ऐसा लेख प्रस्तुत करने हेतु आपको बहुत बहुत बधाई .
ReplyDeleteआदरणीय मदन शर्मा जी
ReplyDeleteकुछ अच्छे विचार कई बार हमें प्रेरित करते हैं कुछ अच्छा करने को और आभार इस पोस्ट के लिए
महात्मा हंसराज जी के बार पढ कर बहुत अच्छा लगा, आप का धन्यवाद
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज के बारे में विस्तार से जाना, गर्व है ऐसे व्यक्तित्व पर। आपका आभार इस बेहतरीन आलेख के लिए।
ReplyDeleteबिलकुल सही प्रस्तुति ! हंसराज जी जैसे महापुरुष , आज - कल सपने हो गए है ! ऐसे महापुरुषों से हमें सिख लेनी चाहिए ! आप के ब्लॉग पर देर से पहुंचा , इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! मेरा ड्यूटी ही ऐसा है ! सभी को पढ़ना चाहता हूँ पर समय नहीं दे पाता ! बहुत - बहुत बधाई !
ReplyDeleteमहात्मा हंस राज जी पर अत्यंत ज्ञानवर्धक जानकारी...
ReplyDeleteहार्दिक आभार...
महात्मा हंसराज जी जैसे महान आत्मा के बारे में आपके इस सशक्त लेख के माध्यम से बहुत कुछ जानने और समझने को मिला. आपका बहुत - बहुत आभार इस सार्थक पोस्ट के लिए.....
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज जी के बारे में जानकारी मिली...बहुत अच्छा और अर्थपूर्ण आलेख....
ReplyDelete<श्री सोनू जी
ReplyDelete<सवाई सिंह राजपूत जी
<आशा जोगलेकर जी
<दिव्या जी
<जी. एन. शा जी
<डा. सुश्री शरद सिंह जी
<संध्या शर्मा जी तथा
<बीना जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ..........
मदन शर्मा जी, नमस्कार....आपके ब्लॉग में आकर अच्छा लगा, आप यूँ ही लिखते रहें, ईश्वर से कामना है, आभार.
ReplyDeleteप्रेरक पोस्ट ....
ReplyDeleteसंत हंसराज जी के बारे में जानकारी देने के लिए साधुवाद ....
महर्षि दयानंद जी तो पारस थे जिनके संपर्क से कितने लोहे कुंदन हो गए |
bahut hi achhe post dale hain aapne , dharmik gyan ka sansar yaha mila aise hi padhwate rahiyega ..............sukriya
ReplyDeletemahatma hansraj ji ke baare me jaankar achchha laga ,bahut si nai baate janne ko bhi mili .sundar post .
ReplyDeletemaine pahli baar suna hai pr padkar achha lga
ReplyDeletebharat bhumi santo se kabhi khali nhi rehi
महात्मा हंसराज जी को पढना बहुत अच्छा लगा |
ReplyDeleteबहुत - बहुत शुक्रिया |
बहुत ही बढ़िया आलेख बहुत ही अच्छा लगा पढ़ कर .महात्मा हंसराज के बारे में विस्तार से जाना.हार्दिक आभार
ReplyDeleteहुत कुछ जानने और समझने को मिला आभार इस सार्थक पोस्ट के लिए.....
ReplyDeleteप्रेरक व्यक्तित्व पर प्रकाश डालती सार्थक पोस्ट।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेखन ... और ज्ञानवर्धक... पंडित हंसराज जी के बारे में इतनी जानकारी ..सार्थक लेखन...
ReplyDeleteMadan ji badhai swikare itane achchhe blog ke liye.
ReplyDeleteMahatma hansraj ji ke bare men di gai jankari bahut hi achchhi hai. aabhar.
महात्मा हंसराज के बारे में विस्तार से जाना बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज के बारे में विस्तार से जाना बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमदन जी ! आपने हंसराज जीके बारे में दुर्लभ जानकारी दी
ReplyDeleteहम आपका आभार प्रकट करते हैं ..
यथार्थपरक रचनाके लिए आपको हार्दिक बधाई।
मदन जी
ReplyDeleteआप धन्य हैं और हम सब भी धन्य हैं जो महात्मा हंसराज जी जैसे
महान आत्मा के बारे में आपके इस सशक्त लेख के माध्यम से जानने को मिला.
आप सचमुच ज्ञान के सागर से मोती निकाल कर लाए हैं । ज्ञानवर्धन के लिए धन्यवाद और आपकी ये ब्लॉग अनेक लोगों के लिए मार्ग दर्शक बनेगी बहुत गहन अध्ययन और विवेचना के बाद ही ऐसा लेख लिखा जाता है । आपके अगले लेख की प्रतीक्षा रहेगी
ReplyDeleteबेहतरीन आलेख ! आभार....
ReplyDeleteBahut badhiya.Ye jeevni hamein nirantar margdarshan degi...dhanyavaad.
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ReplyDeleteमहात्मा हंसराज जी के बारे में जानकार अच्छा लगा ! आप एक बेहतर कार्य कर रहे हैं !आभार आपका !
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज जी के बार पढ कर बहुत अच्छा लगा| धन्यवाद|
ReplyDeleteआदरणीय भाई मदन जी महात्मा हंसराज जी के बारे में जानना बहुत सुखद लगा आपका आभार |
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज की जीवनी और कार्यों के बारे में पढ़कर अच्छा लगा, मन को सद्प्रेरणा मिली।
ReplyDeleteमहात्मा हंसराज के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा .....पोस्ट कई अर्थपूर्ण बातें समेटे है..... आभार इस सार्थक पोस्ट के लिए....
ReplyDeleteमदन जी नमस्ते देर से आने के लिए माफ़ी चाहती हूँ
ReplyDeleteआपने महात्मा हंसराज के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है
धन्यवाद ..
मदन जी नमस्ते देर से आने के लिए माफ़ी चाहती हूँ
ReplyDeleteआपने महात्मा हंसराज के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है
धन्यवाद ..
ऐसा लेख प्रस्तुत करने हेतु आपको बहुत बहुत बधाई
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ReplyDeleteआपने बेहद उम्दा तरीके से
ReplyDeleteअपनी बात रखी. सार्थक लेखन के लिए आप बधाई के पात्र हैं
आपके इस सशक्त लेख के माध्यम से महात्मा हंसराज के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteसत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोड़नें में सर्वदा उद्यत रहना चाहिए!
ReplyDeleteek prerak vyaktitv ke bare me jankari prapt hue.dhanyvad.
ReplyDeleteप्रासंगिक और प्रेरक .आभार मदन जी .
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