Tuesday, April 5, 2011



वेद सब सत्य विद्याओं की पुस्तक है  वेद का पढना पढ़ाना और सुनना सुनाना सभी आर्यों का परम धर्म है 
महर्षि दयानंद सरस्वती 


 जिस तरह वर्ड कप के फ़ाइनल में सभी देशवासिओं के बीच एकजुटता दिखी, सभी ने एक साथ मिल कर वर्ड कप जितने की ख़ुशी मनाई, काश उसी तरह जीवन के हर क्षेत्रों में ऐसा ही होता
काश ! हम अपने को दूसरों से श्रेष्ठ मानने की  प्रवृत्ति को त्याग सकते
हम एक ही ईश्वर की संतान हैं, काश! हम धर्मान्तरण को बढ़ावा न देते हुवे इंसानियत को ही मुख्य धर्म मानते तो भारतीय समाज की यह स्थिति न होती
 इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं 

 मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम
क्या रामायण एक काल्पनिक काव्य है?  आज कल पश्चिमी विद्वानों तथा उनका अन्धानुकरण करने वाले अनेक भारतीय विद्वानों ने राम के जीवन से सम्बंधित रामायण महाकाव्य की सत्यता तथा उसकी एतिहासिकता पर प्रश्नचिंह लगाये हैं तथा संदेह प्रकट किया है की क्या वास्तव में राम पैदा भी हुए थे या यह सिर्फ एक कपोल कल्पित कहानी है किन्तु इस तरह की विचार सत्य नहीं हैं
नवीनतम अनुसंधानों तथा प्राचीन एतिहासिक प्रमाणों के द्वारा यह पूरी तरह सिद्ध हो चूका है की मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम तथा योगी राज श्री कृष्ण जैसे महापुरुषों ने आर्यावर्त की पवित्र धरती पर जन्म लिया था तथा उनके जीवन की सत्य घटनाएँ ही रामायण और महाभारत में हैं  हाँ ये बात दूसरी है की कवियों ने कुछ बातों को बढ़ा चढ़ा कर लिखा हो
प्रायः लोगो का यह स्वभाव हो जाता है की वे अपने महान पुरुषों के चरित्र में अलौकिक या चमत्कार युक्त बातों का समावेश करते रहते हैं   राम, कृष्ण, गौतम, बुद्ध, ईशा मसीह आदि महापुरुष भी ऐसे लोगों द्वारा फैलाई गयी उन बातों से नहीं बच सके हैं
इसका अभिप्राय यह नहीं है की यह महापुरुष हुए ही नहीं या उनसे सम्बंधित सभी बातें काल्पनिक हों और उनका कोई एतिहासिक महत्व नहीं है 
यह तथ्य हमें जान लेना जरुरी है की महर्षि वाल्मीकि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समकालीन थेइस लिए उनके जन्म का सही निर्णय वाल्मीकि रामायण द्वारा ही किया जा सकता है। जिसके लिए वाल्मीकि रामायण स्वतः प्रमाण माना जायेगा तथा अन्य रामायण तथा पुस्तकें  परतः प्रमाण माने जायेंगे।  अर्थात जो जो बातें वाल्मीकि रामायण के अनुकूल होंगी वो प्रमाण कोटि में तथा जो प्रतिकूल होंगी वो अमान्य माने जायेंगे। महर्षि वाल्मीकि ने बाल कांड के ७० वें सर्ग में महाराजा इक्ष्वाकु से ले कर दसरथ पुत्र राम तक की वंशावली का वर्णन किया है और राम के जन्म दिन का जो स्पष्ट वर्णन किया है उससे यह सिद्ध होता है की ये कथा काल्पनिक नहीं है ।
महाराजा दशरथ के पुत्र श्रीराम का जन्म कब हुआ था इसके सम्बन्ध में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं लेकिन अधितर विद्वानों के राय में श्रीराम का जन्म त्रेता युग के अंत में माना गया है
इस मान्यता के अनुसार श्री राम के जन्म को नौ लाख वर्ष हो चुके हैं परन्तु जब हम आर्यों के प्राचीन इतिहास पर नजर डालते हैं तो श्री राम का जन्म और भी अधिक प्राचीन लगभग दो करोड़ वर्ष पूर्व सिद्ध होता है 
महर्षि वाल्मीकि ने बालकाण्ड के ७९ वें सर्ग में महाराजा इक्ष्वाकु से लेकर दशरथ पुत्र राम तक की वंशावली का वर्णन किया है और राम के जन्म दिन का जो वर्णन किया है उससे यह स्पष्ट है की यह कथा काल्पनिक नहीं है अपितु उनके जीवन काल की ही घटनाएँ हैं

ततश्च द्वादशे मासे चैत्रे  नावमिके तिथौ
नक्षत्रेअदिति   देवात्ये सवोच्च- संस्थेशु पंचसु ।। ।।
ग्रहेषु कर्कटे  लग्ने वक्पताबिन्दुना  सह ।। ।।
कौशल्या जन्याद्रामं  दिव्यलक्षण संयुतम ।।१० ।।

अर्थात चैत्र मास की नवमी को शुक्ल पक्ष में पुनर्वसु नक्षत्र में पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थानों पर स्थित  होने पर कर्क लग्न में बृहस्पति और चंद्रमा के संयोग होने पर श्री रामचन्द्र को कौशल्या ने जन्म दिया यंहा उनके जन्म का तो उल्लेख है किन्तु वर्ष आदि का उल्लेख नहीं मिलता इसका पता हमें महाभारत के वन पर्व मे मिलता है इसके अनुसार त्रेता और द्वापर की संधि में सशस्त्र धारियों में श्रेष्ठ श्री राम हुवे जिन्होंने अत्याचारी रावण आदि दुष्टों को मारा अर्थात श्री राम का जन्म त्रेता और द्वापर युग की संधि में हुआयदि  हम राम के जन्म निर्धारण के लिए सबसे अंतिम चतुर्युगी का ही आकलन करें तो भी उनका जन्म निम्न लिखित  वर्ष पूर्व हुआ –

द्वापर के वर्ष                                ८,६४००० वर्ष        
आज तक वर्तमान कलयुग के वर्ष            ५११०वर्ष         
                                      योग == ८६९११०वर्ष 

अर्थात अप्रैल २०११ में श्री राम के जन्म को आठ लाख उन्सठ हजार एक सौ दस वर्ष पुरे हो गए हैं। वैसे अनेक विद्वानों ने युग वर्ष गणना के अनुसार यह सिद्ध किया है की आज से 1,81,49,12 वर्ष पूर्व श्री राम चन्द्र जी का जन्म हुआ था 
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से बढ़ कर आर्य संस्कृति का प्रतीक दुर्लभ है राम आर्यावर्त और भारतीय इतिहास के प्रतिनिधि के रूप में मुख्यतः प्रेरणा स्त्रोत्र हैं
मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं के जो आदर्श माने गए हैं उन सभी का हमें राम के रूप में दर्शन होता है
राम एक आदर्श प्रजावत्सल राजा हैं जिन्होंने प्रजा को संतुष्ट करने के लिए अपनी पतिवर्ता पत्नी तक का त्याग कर दिया
राम एक आदर्श पुत्र हैं पितृ भक्ति की जो मर्यादा अथवा मानदंड वे स्थापित कर गए हैं उसे आज तक कोई भी नहीं छू पाया 
पितृ भक्ति का आदर्श यह है की पिता की न केवल आज्ञाओं का ही अनुपालन हो, उनकी इक्षाओं एवं सम्मान का भी समुचित आदर एवं उनकी पूर्ति हो, इसके साथ-साथ वह पिता की कीर्ति की बृद्धि करने वाली हो 
राम एक आदर्श पति हैं राम एक आदर्श भाई हैं तथा एक आदर्श स्वामी हैं  
आज के युग में जब मानवता का सर्वत्र ह्लास हो रहा है, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्रासंगिता और भी बढ़ गयी है
वैदिक विचार धारा ही एक मात्र ऐसी विचार धारा है जो हमें श्रीराम के पावन जीवन से कुछ प्रेरणा लेने और उनका अनुकरण करने के लिए सदैव प्रेरित करती रहती है 
हमारे पौराणिक भाइयों ने तो ऐसे  महापुरुषों को ईश्वर का अवतार बता कर के अनुकरण की कोटि से सर्वदा दूर कर दिया है
आज हम राम को मानते हैं पर राम की नहीं मानते 
कृष्ण को मानते हैं पर कृष्ण की नहीं मानते।
हमारा ये मानना है की जो राम ने किया वो एक ईश्वर का अवतार ही कर सकता है हमारे बस का नहीं है और यही गलत भावना हमारे पतन का कारण रहा है।
हमें ये बात अच्छी तरह समझ लेना चाहिए की अब कोई भी मसीहा हमें बचाने नहीं आएगा ।
जहाँ तक मेरा विश्वास है लोगों को  चित्र की नहीं चरित्र की पूजा में अधिक विश्वास रखनी चाहिए
हमें श्री राम के जीवन से कुछ प्रेरणा लेकर उनके जैसा बनना होगा।
रावण वेद का सबसे बड़ा विद्वान माना जाता है तथा राम वेद, वेदांगों  के आदर्श विद्वान थे
उन्होंने न केवल वेद पढ़े ही थे अपितु उनके उपदेशों को जीवन में भी उतारा था 
राम ने एक आदर्श शत्रु का भी धर्म, मर्यादा पूर्वक निभाया
रावण उनका शत्रु था, परम शत्रु
किन्तु जब रावण की मृत्यु हो गयी तो रोते हुवे उसके भाई विभीषण को राम ने सांत्वना देते हुवे कहा –
“शत्रुता तो मरने के बाद समाप्त हो जाती है जो हमारा उद्देश्य था वो तो पूरा हो गया है अब इसका सम्मान के साथ विधि पूर्वक दाह संस्कार करो  अब तो यह मेरा भी ऐसा ही है जैसा की आपका।“

मरणान्तानी वैराणी  निवृत्तम  नः प्रयोजनम। 
क्रियतामस्य संस्कारो ममाप्येष यथा तव।। लंका  १०९-२५

मरे हुवे रावण के विषय में यह वाक्य की “रावण अब मेरा भी ऐसा ही है जैसा तेरा “ राम का यह वाक्य उनकी उच्चता तथा सदाशयता का तो परिचायक तो है ही उनके आदर्श शत्रु होने का भी उदघोषक है

74 comments:

  1. भाई मदन जी आज तो आपने दिल चुरा लिया है मेरा.अब समझ आया आपका 'मदन' नाम क्यूँ है. सार्थक किया आपने नाम को इस सुन्दर,प्रेरणात्मक और सुखद लेख के द्वारा.कितना सही लिखा है आपने कि "चित्र की नहीं चरित्र की पूजा में अधिक विश्वास रखनी चाहिए".
    हमें महापुरुषों के चरित्र के सूक्ष्म अध्ययन से ही ऐसी ऐसी जानकारियाँ
    मिलेंगी जो हमारे सोच व जीवन को संवारने में हमारी भरपूर मदद कर सकती हैं.एक बार फिर उम्दा लेख के लिए बहुत बहुत बधाई. .

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  2. एक बेहतरीन आलेख , जो उन लोगों का अवश्य मार्ग दर्शन करेगी जिन्हें श्रीराम का अस्तित्व कपोल-कल्पित लगता है।

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  3. बहुत ही सार्थक रचना..राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को शायद जबाब मिल गया हो..
    ये आलेख मैं पूर्वांचल ब्लोगेर असोसिएसन में प्रकाशित करने की अनुमति चाहता हूँ..
    बहुत बहुत बधाइयाँ...

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  4. वेदों में जो आदर्श था ,उसी को राम ने अपनाया था

    परन्तु गड़बड़ यही है हम राम को अपना रहे है और वेदों से दूर होकर

    कहाबियो और अतिश्योक्ति में सिमट गए है

    राम जैसा बनना है तो वेदों की तरफ लौटो

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  5. bahut saarthak सटीक evam satark lekh...
    nav varsh ki hardik shubhkamnayen..

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  6. बहुत सार्थक आलेख..... इस सुंदर विवेचन के लिए आभार ....

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  7. आपको नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें.... जय श्रीराम

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  8. बेहतरीन आलेख ! आभार

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  9. ज्ञानवर्धक लेख के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  10. आदरणीय गुरु श्री राकेश कुमार जी, दिव्या जी, आशुतोष जी, आलोक जी, सुरेन्द्र मोहन झंझट जी, डॉक्टर मोनिका शर्मा जी, मास्टर चैतन्य जी, तथा अरविन्द जांगिड जी आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
    आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है ।आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ............

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  11. आशुतोष जी आप मेरे लेख का कहीं भी प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं.
    यह आप जैसे युवा साथिओं के लिए ही है. मैं कापी राइट पर यकीन नहीं करता. सत्य विचारों पे किसी एक व्यक्ति विशेष का एकाधिकार हो ही नहीं सकता और यह व्यवहारिक भी नहीं है. सत्य तो सब के लिए है.
    आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं......

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  12. aapko bhi is nav parv ki badhai .aalekh bahut badhiya hai .

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  13. बहुत गहन ज्ञानवर्धक आलेख..इतने विषद रूप में आपने राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को बहुत सटीक ज़वाब दिया है. बहुत सुन्दर..

    नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें!

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  14. आप को और आपके पुरे परिवार जनों को नवसंवत्सर की शुभ कामनाये !,

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  15. आदरणीय मदन जी ,
    श्री राम के बारे में आलेख बहुत ही बढ़िया लगा.
    आपने बहुत सुन्दर विवेचना की है.

    "प्रायः लोगो का यह स्वभाव हो जाता है की वे अपने महान पुरुषों के चरित्र में अलौकिक या चमत्कार युक्त बातों का समावेश करते रहते हैं"

    आपने सत्य लिखा है.सभी धर्मो में ऐसा ही पाया जाता है .राम के जन्म के विषय में आपने जो प्रमाण दिए हैं क्या ये भी तो अलौकिक बातें नहीं.

    'वैसे अनेक विद्वानों ने युग वर्ष गणना के अनुसार यह सिद्ध किया है की आज से 1,81,49,12० वर्ष पूर्व श्री राम चन्द्र जी का जन्म हुआ था ".

    क्या सच में इतना ही समय हो गया है श्री राम के जन्म को?
    श्री राम के जन्म में कोई संदेह नहीं है परन्तु उनका जन्म कब हुआ था यह जरूर बहस का विषय है.

    आपकी कुछ बातें तो दिल को छू गयी हैं.
    १.आज हम राम को मानते हैं पर राम की नहीं मानते ।
    २.जहाँ तक मेरा विश्वास है लोगों को चित्र की नहीं चरित्र की पूजा में अधिक विश्वास रखनी चाहिए .
    ३.“रावण अब मेरा भी ऐसा ही है जैसा तेरा.

    आप भी गुरु राकेश जी की तरह सार्थक सत्संग उपलब्ध करवा रहे हैं.
    बहुत आभार.

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  17. जाट देवता की राम-राम,
    राम जी के बारे में बढिया जी।

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  18. ज्ञानवर्द्धक जानकारी के लिये आभार...

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  19. "प्रायः लोगो का यह स्वभाव हो जाता है की वे अपने महान पुरुषों के चरित्र में अलौकिक या चमत्कार युक्त बातों का समावेश करते रहते हैं"
    राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को बहुत सटीक ज़वाब दिया है. बहुत सुन्दर.

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  20. आपकी कुछ बातें तो दिल को छू गयी हैं.
    १.आज हम राम को मानते हैं पर राम की नहीं मानते ।
    २.जहाँ तक मेरा विश्वास है लोगों को चित्र की नहीं चरित्र की पूजा में अधिक विश्वास रखनी चाहिए .
    ३.“रावण अब मेरा भी ऐसा ही है जैसा तेरा.

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  21. बहुत ही सार्थक रचना..राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को शायद जबाब मिल गया हो..

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  22. नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें

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  23. ज्ञानवर्द्धक जानकारी के लिये आभार..

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  24. काश ! हम अपने को दूसरों से श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति को त्याग सकते ...is kaash me hi sambhawnayen hain , kash koi samajh paata

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  25. सटीक और झन्नाटेदार .....तेवर बनाए रखिए । आज सबसे ज्यादा जरूरत इसी की है

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  26. हमारे देश का ये दुर्भाग्य है कि, हम कई महापुरुषों को अपना आदर्श तो मानते हैं किन्तु उनके द्वारा दिए गए सन्देश , विचारों को अपने जीवन में नहीं लाते ! जिस दिन महापुरुषों के आदर्शों पर हम चलने लगेंगे , देश का स्वरुप बदल जायेगा

    प्रेरणा दायक प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई एवं आभार

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  27. एक उच्च कोटि का आलेख। बहुत सी नई जानकारी मिली। आभार इस आलेख के लिए।

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  28. सार्थक लेखन के साथ विचारणीय प्रश्न भी ..
    मनोभावों को खूबसूरती से पिरोया है आलेख में।
    आभार.

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  29. बहुत ही सुन्दर

    आपकी जितनी तारीफ करू उतनी कम इस पोस्ट को ढेर सारा प्यार।

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  30. आपको नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें....

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  31. आपकी बातें तो दिल को छू गयी हैं.
    हार्दिक शुभकामनायें...

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  32. श्री राम के संबंध में अच्छा विश्लेषण।
    सार्थक लेखन के लिए बधाई।

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  33. एक बेहतरीन,सार्थक आलेख, हार्दिक शुभकामनायें...

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  34. आदरणीय मदन शर्मा जी
    बहुत सुन्दर लेख और नवसंवत्सर की हार्दिक बधाई.

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  35. मदन जी आपकी वाणी में सरस्वती का निवास है और लेखनी तो है ही बेमिसाल !
    दुबारा लेख का आनन्द लूगी
    आपने हिंदी विजेट इतने सारे क्यों लगा रखे है एक काफी है? धन्यवाद !

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  36. आदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते! मैंने तो हिंदी का एक ही विजित लगाया था. न जाने कैसे चार चार विजित लग गए. हटाने पे भी नहीं हट रहे हैं नामाकुल! मै ठहरा अनाड़ी बंदा. ये उसी का फायदा उठा रहे हैं. आप के पास इन्हें हटाने का कोई उपाय हो तो बताइए. यहाँ आके दर्शन देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद .

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  37. मदनजी ,आप अपने 'डिजाइन 'को किलिक करे ,तो आएगा 'प्रष्ट तत्वों को जोड़े और व्यवस्थित करे ' सीधे 'गेजेट ' पर जाए 'हिदी में लिखिए 'ऐसा लिखा होगा अब ,संपादित पर चटका लगाए जो खुलेगा वहा --HTML/ जावा स्क्रिप्ट का कानफिगर करे आएगा
    शीर्षक
    सामग्री
    आप सिर्फ 'हटाए 'पर चटका लगाए --
    इस तरह दोनों हटा दे --एक रहने दे

    x पर चटका लगाकर वापस उसी प्रष्ट पर आकर 'सेव 'या 'सहेजे'पर चटका लगाए --ठीक होगा --एक बार में नही हुआ तो २-३ बार में समझ में आजाऐगा--मेने भी ऐसे ही सिखा है -आपसे ज्यादा अनाड़ी हु मै भी

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  38. एक बेहतरीन,सार्थक आलेख, हार्दिक शुभकामनायें..

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  39. आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

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  40. आदरणीय दर्शन कौर जी सहायता करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद. मेरे प्रति आपके विशेष स्नेह के लिए आपका आभार. आशा है आगे भी यूँ ही आप मेरी मदद करती रहेंगी.

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  41. This comment has been removed by the author.

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  42. श्री राम के संबंध में अच्छा विश्लेषण।
    सार्थक लेखन के लिए बधाई!!!

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  43. "प्रायः लोगो का यह स्वभाव हो जाता है की वे अपने महान पुरुषों के चरित्र में अलौकिक या चमत्कार युक्त बातों का समावेश करते रहते हैं"
    राम के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को बहुत सटीक ज़वाब दिया है.

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  44. मदन जी सादर नमस्ते! माफ़ कीजिये मैं शायद बहुत देर के बाद आप के यहाँ आई हूँ. आपके लेखों में जाने क्यों एक विद्रोह की झलक मिलती है. आपने भगवन राम के बारे बहुत ही विलक्षण जानकारी दी है. क्या मै आपके लेखों का उपयोग अपने कालेज के वार्षिक पत्रिका में कर सकती हूँ?

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  45. मदन जी सादर नमस्ते! माफ़ कीजिये मैं शायद बहुत देर के बाद आप के यहाँ आई हूँ. आपके लेखों में जाने क्यों एक विद्रोह की झलक मिलती है. आपने भगवन राम के बारे बहुत ही विलक्षण जानकारी दी है. क्या मै आपके लेखों का उपयोग अपने कालेज के वार्षिक पत्रिका में कर सकती हूँ?

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  46. मदन जी सादर नमस्ते! माफ़ कीजिये मैं शायद बहुत देर के बाद आप के यहाँ आई हूँ. आपके लेखों में जाने क्यों एक विद्रोह की झलक मिलती है. आपने भगवन राम के बारे बहुत ही विलक्षण जानकारी दी है. क्या मै आपके लेखों का उपयोग अपने कालेज के वार्षिक पत्रिका में कर सकती हूँ?

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  47. मदन जी चलिए देरी से ही सही आपको भी नव संवत्सर पर हार्दिक शुभ कामनाएं !!!

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  48. त्रिभुवन जननायक मर्यादा पुरुषोतम अखिल ब्रह्मांड चूडामणि श्री राघवेन्द्र सरकार
    के जन्मदिन की हार्दिक बधाई हो !!

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  49. श्रीराम नवमी की हार्दिक बधाई

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  50. सार्थक और विचारणीय लेख.....
    नवरात्री और राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकारें

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  51. एक बेहतरीन,सार्थक आलेख|
    राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें|

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  52. बहुत सार्थक ज्ञानवर्धक आलेख..... इस सुंदर विवेचन के लिए आभार ....

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  53. “रावण अब मेरा भी ऐसा ही है जैसा तेरा “ राम का यह वाक्य उनकी उच्चता तथा सदाशयता का तो परिचायक तो है ही उनके आदर्श शत्रु
    आइये हम अपने आराध्य राम के आदर्श को बनाये रखें होने का भी उदघोषक है

    भाई मदन जी स्वस्थ समाज के लिए अंध विश्वास से दूर हो किसी प्रासंगिक मुद्दे पर स्वस्थ तार्किक बहस होना चाहिए बहुत सुन्दर विचार आपके बहुत भायीं ये बातें आप की -आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ हमें भी दुआ दें

    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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  54. Thanks for this very informative post first time in my life.

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  55. This comment has been removed by the author.

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  56. रामजन्म के पावन पर्व रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  57. मदन जी!
    आप का आलेख एक बार पढ़ कर तृप्ति नहीं होती.
    मन रुक जाता है आपके ब्लॉग पर आकर.

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  58. उत्तम चिंतन से युक्त जानकारीवर्द्धक आलेख पढकर अच्छा लगा ।

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  59. बहुत ही सार्थक रचना..

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  60. आदरणीय मदन शर्मा जी

    यह वाक्य की “रावण अब मेरा भी ऐसा ही है जैसा तेरा “ राम का यह वाक्य उनकी उच्चता तथा सदाशयता का तो परिचायक तो है ही उनके आदर्श शत्रु होने का भी उदघोषक है।

    सार्थक आलेख!

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  61. बहुत सार्थक ज्ञानवर्धक आलेख..... इस सुंदर विवेचन के लिए आभार ...

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  62. एक बेहतरीन,सार्थक आलेख|

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  63. बन्धु मदन जी । वैसे जो आपने चाहा है । उस सम्बन्ध में मुझे
    अधिक ग्यान नहीं है । लेकिन आपको जो भी ब्लाग सबसे अच्छा
    लगा हो । उसके बारे में मुझे url द्वारा बतायें । और अपनी ब्लाग id में
    प्रयुक्त मेल id और password मुझे golu224@yahoo.com पर
    भेज दें । मैं चेंज करके वैसा ही ब्लाग आपका बना दूँगा ।
    इसके अलावा मैं फ़ुल लेटेस्ट अपडेटेड चीजें भी उसमें शामिल कर दूँगा ।
    दरअसल ब्लाग की सम्पूर्ण साजसज्जा के बारे में बताने के लिये 3 बङी पोस्ट
    के बराबर मैटर बनेगा । फ़िर भी कुछ बातें छूट सकती हैं ।

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  64. बेहतरीन आलेख ! आभार

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  65. इस ब्लॉग पर आकर एक अलग अनुभूति हुई। एक सुखद अनुभूति हुई। बहुत-बहुत आभार इस विचारोत्तेजक आलेख के लिए।

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  66. श्री राम के बारे में आपका लेख पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया. आपने बेहद उम्दा तरीके से
    अपनी बात रखी. सार्थक लेखन के लिए आप बधाई के पात्र हैं.

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  67. सभी को महावीर जयन्ति की बहुत बहुत शुभकामनाये !

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  68. काफी सटीक और विश्लेष्णात्मक जानकारी

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  69. मदन जी,

    इस सुन्दर सार्गभित लेख का ध्यान बहुत देरी से हुआ, क्षमा चाहता हूँ।

    संदर्भों सहित वस्तुस्थिति को प्रकट किया, आभार!!
    इतिहासज्ञो को इस आलेख का संज्ञान लेना चाहिए।

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  70. एक बेहतरीन आलेख

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  71. This comment has been removed by a blog administrator.

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