हे अज्ञान नाशक प्रभु ! मुझमें ऐसी दृढ़ता प्रदान करो कि मै सभी प्राणियों को मित्र के रूप में देखूं ,सभी प्राणी मुझे भी मित्र कि दृष्टि से देखें और हम सभी प्राणी आपस में एक दूसरे को मित्र कि दृष्टि से देखें |
यजुर्वेद {३६/१८}
मेरी दृष्टि में होली रंगों का त्यौहार ही नहीं अपितु यह तो आपसी प्रेम का त्यौहार है । सारे शिकवे गिले भूल कर एक हो जाने का त्यौहार है। यह जाति पांति की भावना को भूल कर सबको गले लगाने का त्यौहार है। जिसमे विविध रंग मिल कर एक हो जाना चाहते हैं।
वास्तव में देखा जाय तो यह मौज मस्ती का त्यौहार है जिसमे होली का हुडदंग तथा पुआ, पापड़, चिप्स व गुझिया चार चाँद लगा देते हैं। अगर साथ में भंग की तरंग भी शामिल हो जाय तो बात ही क्या है ...
होली के त्योहार की शुरुवात तो वसंत पंचमी से ही हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ लहलहाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से झूम उठता है।
होली का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सारे देश में यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन शाम को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। इसके पश्चात दूसरे दिन जिसे धुलेंडी भी कहते हैं बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सारे संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।
प्राचीन समय में रवि की नयी फसल तैयार होने के उपलक्ष में यज्ञ आयोजित किये जाते थे तथा उसमे गेहूं , चना तथा जौ आदि की बालियों से आहुति दिया जाता था। आहुति देने के पश्चात उस भुने हुवे अन्न का प्रशाद के रूप में ग्रहण करने की वैदिक प्रथा के कारण ही इसे होलिकोत्सव कहा गया क्यों की नए जौ, गेहूं, चना आदि अन्न की बालियों को संस्कृत में होला भी कहते हैं तथा माना जाता है की अर्ध भुना होला खाने से आने वाले लू के मौसम में शरीर की बीमारीओं से रक्षा होती है। यज्ञ के अंत में होलिका की अग्नि में निकले धुल या भस्म को सम्मान स्वरुप सर पर धारण करने तथा उसे अन्य लोगों पर डालने के कारण ही इसे धुलेंडी भी कहा गया। शायद लोग इसी लिए एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं। ये परम्परा आज भी चली आ रही है।
आज आवश्यकता है इस आपसी प्रेम की परम्परा में आए दोषों व विकृतियों को त्यागने की। होली के महत्व को समझ कर प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए होली उत्सव का जम कर आनन्द लें। इस पर्व के बहाने अपने दिल में जमे आपसी कलुषता को दूर करें। आपस में गले मिल कर पुराने गिले शिकवों को दूर करें। होली के शुभ अवसर पर आप सब को हार्दिक शुभ कामनाएं
MADAN JI -BAHUT SARTHAK PRASTUTI HAI AAPKI HOLI KE AVSAR PAR .AABHAR V HOLI KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN .
ReplyDeleteYE HAI MISSION LONDON OLYMPIC
होली का प्रकृति के साथ सुन्दर रिश्ता है, हवाएं बताने लगती हैं कि होली आने वाली है...आपको होली की सपरिवार बधाई....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति की है आपने मदन भाई
ReplyDeleteहोली के रंगारंग शुभोत्सव पर
हार्दिक शुभकामनाएँ
Sparkling colours of HOLI may paint your life in a very colourful way to make you prestigious,honourable and lovable all around.Happy Holi.
ReplyDeleteहोली की बधाइयां आपको भी .
ReplyDeleteआपका ये सार्थक लेखन अनवरत चलता रहे...
ReplyDelete. होली का पर्व मुबारक हो !
wishing everybody a very happy holi!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें मदन जी
ReplyDeleteहोली का पर्व मुबारक हो !
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
आपको और आपके समस्त परिवार को होली की मंगल कामनाएं ..
ReplyDeleteहोली के पावन पर्व की आपको हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की मंगलकामनाएँ!
बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत बधाई। होली की ढेर सारी शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहूत सुंदर रचना..
ReplyDeleteहोली की ढेर सारी शुभकामनाएँ..
होली के रंग में रंगी अच्छी जानकारी
ReplyDeleteहोली के शुभ अवसर पर आप
को हार्दिक शुभ कामनाएं
होली के रंग में रंगी अच्छी जानकारी
ReplyDeleteहोली के शुभ अवसर पर आप
को हार्दिक शुभ कामनाएं
एक उत्कृष्ट लेख हेतु बधाई ..
ReplyDeleteआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें !
bahut achchi prastuti..
ReplyDeleteहोली का पर्व सद्भावना बढ़ाने के लिए ही है।
ReplyDeleteप्रेरक आलेख।
वाह ! अच्छी जानकारी… सार्थक लेखन !
ReplyDeleteस्वीकार करें मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
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♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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शायद हम इन उत्सवों के जरिये एक दूसरे से जुड़े रहते हैं मदन भैया !
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
देर से आया- हार्दिक शुभकामनाएँ!
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