|| ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ||
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
अपने रावण को मारो
वह था संस्कृत और वेद का विद्वान
कुबेर का भ्राता
पुलस्त्य ऋषि का पौत्र
विश्रवस निकषा का पुत्र
शंकर का अनन्य भक्त
तांडव स्तोत्र का रचयिता
स्वर्ण लंका का अधिपति
दशासन रावण
रखता था नाभि में
अमृत कुंड!
पर एक कुविचार प्रेरित कृत्य के कारण
मारा गया
श्री राम के हाथों
नाभि पे लगे बाणों से
जहाँ अमृत था
आज हम उसका पुतला बना कर
भेदते है बाण से
उसकी नाभि नहीं
उसका ह्रदय
क्यों की हृदय में ही
उत्पन्न होते हैं विचार कुविचार
अर्थात वही होता है रावणी विचार
तो फिर
रावण का पुतला फुकने से पहले
तुम क्यों नही हनन करते
अपने ह्रदय के कुविचारों को
तब तक तुम्हे क्या हक़ है
की फूंको रावण के पुतले को
कुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
जब तक तुम नहीं मारते
अपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
जिससे संपन्न हो सदा सुकृत्य
महान हो आदर्श हो चरित्र
आप सब को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतिक दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं एवं बधाई
कुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
ReplyDeleteजब तक तुम नहीं मारते
अपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
bahut sahi ... shubhkamnayen
विजयदशमी की शुभकामनायें .....
ReplyDeleteजब तक तुम नहीं मारते
ReplyDeleteअपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
जिससे संपन्न हो सदा सुकृत्य
महान हो आदर्श हो चरित्र
बहुत सुंदर ...शुभकामनायें
बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
प्रभाव डालती रचना के लिए बधाई ..
ReplyDeleteBahut sundar aur sarthak post, aabhar
ReplyDeleteजब तक तुम नहीं मारते
ReplyDeleteअपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
जिससे संपन्न हो सदा सुकृत्य
महान हो आदर्श हो चरित्र
बहुत सुंदर प्रभाव डालती रचना...शुभकामनायें
MADAN JEE
ReplyDeleteJAANDAAR SHAANDAAR PRASTUTI
रश्मि प्रभा जी. चैतन्य शर्मा जी तथा डॉ॰ मोनिका शर्मा जी यहाँ आने के लिए आप का धन्यवाद
ReplyDeleteआप सब भी अच्छा कार्य कर रहे है बस आज जरुरत है हमें मिल के साथ चलने की, एक विचार होने की,
मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी दे कर हौसला आफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया
आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ........
बबली जी . वर्ज्य नारी स्वर जी .एस .एन शुक्ल जी. संध्या शर्मा जी तथा वीरेंदर जी यहाँ आने के लिए आप का धन्यवाद
ReplyDeleteआप सब भी अच्छा कार्य कर रहे है बस आज जरुरत है हमें मिल के साथ चलने की, एक विचार होने की,
मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी दे कर हौसला आफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया
आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ......
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
ReplyDeleteविजयदशमी की शुभकामनायें ...
आदरणीय मदन जी हार्दिक अभिवादन ....
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने
अच्छी रचना के लिए आभार !
बिलकुल सही है आज के रावण तो न जाने कितने कितने पाप करते है और जनता को रोज़ जला रहे है॥
ReplyDeleteदशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें
रावण का पुतला फुकने से पहले
ReplyDeleteतुम क्यों नही हनन करते
अपने ह्रदय के कुविचारों को
तब तक तुम्हे क्या हक़ है
की फूंको रावण के पुतले को
बहुत सही कहा आपने
अच्छी रचना के लिए आभार !
आपने सही लिखा मदन जी,
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी......बहुत बहुत आभार ..
बहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति है,मदन भाई.
ReplyDeleteअपने स्वयं के रावण को मारना यानि
अहंकार वृति का निरंतर शमन करने की कोशिश
करते रहना चाहिये.
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
रावण का पुतला फुकने से पहले
ReplyDeleteतुम क्यों नही हनन करते
अपने ह्रदय के कुविचारों को
तब तक तुम्हे क्या हक़ है
की फूंको रावण के पुतले को
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
satik lekhni...madan ji
ReplyDeletesaarthak shabdo ke sath ....aabhar
सुरेन्द्र शुक्ल जी, अर्चना जौहरी जी, रवि कान्त जी. राम प्रताप जी, तथा हिमांशु गुप्ता जी जी यहाँ आने के लिए आप का धन्यवाद | मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी दे कर हौसला आफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया |
ReplyDeleteआशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .......
सविता बजाज जी, आदरणीय गुरु राकेश कुमार जी तथा अंजू (अनु ) चौधरी जी यहाँ आने के लिए आप का धन्यवाद | मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी दे कर हौसला आफजाई के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया |
ReplyDeleteहां, पहले अपने भीतर के रावण को मारना होगा।
ReplyDeleteप्रेरक कविता।
बिलकुल सत्य वचन
ReplyDeleteआपको भी विजय दशमी की शुभकामनाएं|
देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ|
आओ, सब मिलकर 'कांग्रेस के रावण' का संहार करें और माँ भारती को आज़ादी दिलाएं...
ReplyDeleteजय श्री राम...
बहुत अच्छे विचार रखे हैं आपने
ReplyDeleteआपको भी विजय दशमी की शुभकामनाएं|
प्रेरक कविता।
ReplyDeleteसबसे बड़ा सच यही है कि अच्छे संस्कार ही बुराई से लड़ने के सबसे बेहतर उपकरण हैं... अच्छे संस्कारों से ही बुराई से लड़ा जा सकता है।
सब को दशहरा तथा विजयदशमी की ढेरों शुभकामनाएँ
मदन जी अब तो महर्षि निर्वाण दिवस भी आ रहा है आप क्या कर रहे हैं आशा है उचित जानकारी मिलेगी
ReplyDeleteआपकी सकारात्मक सोच व उसकी इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ने दिल को छू लिया |बहुत-बहुत बधाई |
ReplyDeleteaapne achhi bat batai hai madan ji > ye to hame khud sochana hoga ki ham kya kare kya na kare...
ReplyDeleteaabhaar...........................
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत अच्छा प्रयास है आपके बधाई हो ....
अच्छी अभिव्यक्ति के लिए बधाई |
ReplyDeleteसच ... बहुत ही सार्थक लेखन ... आज के दौर का सफल चित्रण है ये रचना
ReplyDeleteआपका हर आलेख नई जानकारी और गहन शोध लेकर आता है। इस विषय पर अल्प जानकारी थी जिसमें प्रचुर वृद्धि हुई।
ReplyDeleteइतनी अच्छी जानकारी के लिए आभार
कुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
ReplyDeleteजब तक तुम नहीं मारते
अपने भीतर का रावण
bahut sahi ... shubhkamnayen
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
ReplyDeleteजब तक तुम नहीं मारते
अपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
जिससे संपन्न हो सदा सुकृत्य
महान हो आदर्श हो चरित्र
एक-एक शब्द.... सुन्दर बिम्ब प्रयोग....
सार्थक रचना....बधाई.
bilkul sahi kaha hai .....sarthak rachna ke liye badhai aapko ......
ReplyDeleteएकदम सही!
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुती.
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
you are rigt madan ji !
ReplyDeleteकुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
ReplyDeleteजब तक तुम नहीं मारते
अपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
....बहुत सटीक अभिव्यक्ति...जब तक हम अपने अन्दर के रावण को नही मारते, तब तक कुछ नही होगा..
एकदम सही, लाजवाब प्रस्तुती|
ReplyDeleteआपकी सकारात्मक सोच व उसकी इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ने दिल को छू लिया |बहुत-बहुत बधाई |
ReplyDeleteआदरणीय मदन जी नमस्ते ! आपने ठीक लिखा है
ReplyDeleteकुछ नहीं हासिल होगा तुम्हे
जब तक तुम नहीं मारते
अपने भीतर का रावण
और नहीं संवारते
अपना अंतःकरण
महर्षि दयानंद का हम नारी जाति पर बहुत अहसान है देखिये कोशिश करुँगी वैसे उनके बारे में मेरी शिक्षा बहुत ही कम है और जानने का प्रयास कर रही हूँ आपका इसके लिए बहुत धन्यवाद ! आशा है की आप भी महत्वपूर्ण उनके कोटेसन भेजेंगे !!!!!!!
विजय पर्व "विजयादशमी" पर आपको ढेर सारी शुभकामनायें..
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सटीक अभिव्यक्ति...जब तक हम अपने अन्दर के रावण को नही मारते, तब तक कुछ नही होगा.
ReplyDeleteबहुत प्यारे विचार ...
ReplyDeleteअक्सर हमें अपना रावण नहीं दीखता !
शुभकामनायें आपको !
बहुत सुंदर चिंतन ...आध्यात्मिक विचारों से साथ प्रासंगिक सच की प्रस्तुति...
ReplyDeleteachha laga
ReplyDeletekam se kam ek sahi arth to malom hua
thanks
बहुत अच्छे विचार
ReplyDeleteसुंदर आलेख आपको भी बधाई
बहुत बढ़िया आलेख.
ReplyDeleteबहुत सी बातें ऐसी हैं जिस पर आज के समय के अनुसार विचार करना जरूरी है.
आपका प्रयास सार्थक है.आभार
उम्दा लेख...एकदम सारगर्भित..
ReplyDeleteअनुनाद करती रचना के लिए हार्दिक आभार.
ReplyDeleteउत्तम भाव.......प्रेरक रचना
ReplyDeleteप्रिय मदन भाई सुन्दर रचना सच कहा आप ने पहले दर्पण में खुद का चेहरा देखना है मन के अन्दर गोटा लगाना है फिर दुसरे को ....
ReplyDeleteबधाई हो सुन्दर रचना
आभार
भ्रमर५
रावण का पुतला फुकने से पहले
तुम क्यों नही हनन करते
अपने ह्रदय के कुविचारों को
तब तक तुम्हे क्या हक़ है
की फूंको रावण के पुतले को
बहुत बढ़िया आलेख
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक प्रस्तुति है,मदन जी
कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 15 दिनों से ब्लॉग से दूर था
ReplyDeleteदेरी से पहुच पाया हूँ