Tuesday, August 16, 2011



















हमेशा सत्य का ग्रहण और असत्य का परित्याग करना चाहिये।

महर्षि दयानंद सरस्वती 

अन्ना की गिरफ्तारी भारत में जनतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला
विगत कई दिनों से अन्ना के देश जागृति मिशन में शामिल होने के कारण मै इन्टरनेट पर समय न दे पाया तथा न अन्य दोस्तों के ब्लॉग पर ही उपस्थित हो पाया | इसके लिए कृपया  आप  मुझ  नाचीज  को क्षमा  करेंगे  |  अभी  शायद अगले  हफ्ते  तक भी  उपस्थित होने का अवसर न मिले | जिस तरह से आज आलोकतांत्रिक तरीके से अन्ना हजारे को पुलिस द्वारा गिरफ्तार  किया गया क्या ये उचित था ? अन्ना की गिरफ्तारी भारत में जनतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है । सरकार गांधीवादी तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों और भ्रष्टाचार की संस्कृति से देश को उबारने की कोशिश करने वालों के खिलाफ ज्यादती कर रही है । क्या यह सरकारी गुंडों मवालीओं की सरकार है ?  अन्ना हजारे और उनकी टीम की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली के साथ-साथ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहेहैं। युवा एकत्र होकर हाथ में तिरंगा लिए हुए ' अन्ना हजारे तुम संघर्ष करो , हम तुम्हारेसाथ है ' के नारे लगा रहे हैं। चूंकि पुलिस ने अन्ना को हिरासत में ले लिया है , लिहाजा  जरूरत पड़ने पर हम गिरफ्तारी भी देंगे। अन्ना जैसा इंसान रोज रोज पैदा नही होता जो जन कल्याण के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दे | आज फैसले की घडी है और फैसला हमें करना है की हम अपने बच्चों के लिए कैसा हिन्दुस्तान चाहते है ?  ऐसा दिन रोज रोज नहीं आता जब हम चुनाव कर सकें | इसलिए अगर अन्ना का और स्वच्छ समाज का साथ देना है तो इसे व्यक्त भी  करे की आप किसके साथ है | देश का हर व्यक्ति आज उनके साथ खड़ा है | देश की जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए नींद से जग चुकी है। भ्रष्टाचार के खिलाफ केवल एक अन्ना हजारे लड़ाई नहीं लड़ रहे , बल्कि हजारों लोग लड़ाई लड़ रहे हैं। केंद सरकार को अन्ना हजारे की बात माननी ही होगी। '' 
आज छिड़ी जंग है
सत्य अपने संग है 
छल के साथ खड़ा हुवा
सामने भुजंग है 
             
जो निहत्थों पर वार करे 
उसे क्यों न कायर कहें
जो सोते हुवे को रौंद दे 
उसे क्यों न डायर कहें

भ्रस्टाचार में जो डूबे खुद 
वो भ्रस्टाचार क्या मिटायेंगे  
छल भरा जिनके दिल में 
वो आचार क्या सिखायेंगे

राम लीला मैदान था 
टूट पड़ा शैतान था
सत्ता के इस खेल में 
सत्ता बना हैवान था

सर पर पहले खूब बैठाया 
छल का ऐसा जाल फैलाया    
कैसा कैसा खेल खिलाया
फिर भी वह उनके हाथ न आया 

सन्यासी पर कलंक लगाया
हाय रे कैसा दुर्दिन आया 
दिग्गी की गीदड़ भभकी देखी 
वाह रे सत्ता तेरी माया

बन्दुक न तलवार है 
सत्य ही अपना हथियार है 
सब्र की इम्तिहान न ले जालिम
हमने मानी अभी न हार है

अब न हो मायूस अन्ना 
हम तुम्हारे साथ हैं
क्या हुवा कमजोर है हम
पर हम तुम्हारे साथ हैं

नपुंसकों की बस्ती वाली
कायर ये सरकार है
खुले आम देखो लुट मची है 
ये कैसी मक्कार है

न्याय की देवी क्या न्याय करेगी  
स्वार्थ की पट्टी बंधी जब आखों पर 
अंजामे गुलसिता क्या होगा 
जब उल्लू बैठे हर शाखों पर 








17 comments:

  1. हम भी अन्ना के साथ है. इस महासंग्राम में, समयनुसार अच्छी रचना,

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  2. समसामयिक विवेचन...सच यह तो पूरी लोकतान्त्रिक व्यवस्था का ही मजाक बनाया जा रहा है

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  3. मदन जी नमस्ते !अपने समय के अनुसार अच्छा विषय उठाया है आपका लेख दिल और दिमाग को झकजोर देता है जब अन्ना हमारे लिए इतना कर रहे है तो हमारा भी कुछ फर्ज बनता है की नहीं !!!

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  4. अन्ना की गिरफ्तारी जनतांत्रिक अधिकारों का हनन तो है ही, ठीक ऐसे ही हनन यह सरकार पिछले ६४ वर्षों से करती आ रही है| इसने हमारे सभी अधिकार हमसे छीन लिए, यहाँ तक कि सोचने समझने का अधिकार भी छीन लिया| आज भी बहुत से मुर्ख मिलेंगे, जिन्हें सभी खोट अन्ना हजारे अथवा बाबा रामदेव में ही नज़र आएँगे| ये सरकार तो जैसे दूध की धुली है|

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  5. सार्थक एंव समसामयिक लेख. मेरा मानना है की हम सभी को समवेत स्वर में आवाज बुलंद करनी चाहिए..आज जो चुप है वो शायद अपराध ही होगा..आभार

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  6. हम आपकी सफलता ओर लंबी उम्र के लिए भगवान से प्राथना करते है

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  7. भ्रस्टाचार में जो डूबे खुद
    वो भ्रस्टाचार क्या मिटायेंगे
    छल भरा जिनके दिल में
    वो आचार क्या सिखायेंगे
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति /भ्रष्टाचार और नेताओं के खिलाफ लिखी गई शानदार अभिब्यक्ति के लिए बधाई आपको /जन्माष्टमी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं /
    आप ब्लोगर्स मीट वीकली (५) के मंच पर आयें /और अपने विचारों से हमें अवगत कराएं /आप हिंदी की सेवा इसी तरह करते रहें यही कामना है /प्रत्येक सोमवार को होने वाले
    " http://hbfint.blogspot.com/2011/08/5-happy-janmashtami-happy-ramazan.html"ब्लोगर्स मीट वीकली मैं आप सादर आमंत्रित हैं /आभार /

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  8. अनना का साथ देना है इस जंग में

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  9. आपको एवं आपके परिवार "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया"की तरफ से भारत के सबसे बड़े गौरक्षक भगवान श्री कृष्ण के जनमाष्टमी के पावन अवसर पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें लेकिन इसके साथ ही आज प्रण करें कि गौ माता की रक्षा करेएंगे और गौ माता की ह्त्या का विरोध करेएंगे!

    मेरा उदेसीय सिर्फ इतना है की

    गौ माता की ह्त्या बंद हो और कुछ नहीं !

    आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ

    आपका सवाई सिंह राजपुरोहित

    सबकी मनोकामना पूर्ण हो .. जन्माष्टमी की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें

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  10. मुझे अफ़सोस है कि मैं आपके ब्लॉग पर देर से पहुँचा हूँ.
    करबद्ध क्षमा चाहता हूँ.

    यह सरकार जन भावना की कोई कद्र नहीं कर रही है.
    विपक्ष का रवैया भी ढुलमुल है.

    आप एक अच्छे मिशन में लगे हुए हैं.
    भगवान अन्ना की मुहीम को सफलता प्रदान करें.

    आपकी प्रस्तुति हमेशा की तरह ओजपूर्ण और
    प्रेरणास्पद है.

    आभार.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  11. बन्दुक न तलवार है
    सत्य ही अपना हथियार है
    सब्र की इम्तिहान न ले जालिम
    हमने मानी अभी न हार है...

    Very motivating lines. Let the fire be alive in our hearts.

    .

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  12. .इस ग़ज़ल का हर अलफ़ाज़ ,हर अशआर ,हमारे वक्त की आवाज़ अन्ना ,सरकार का ताबूत बनके रहेगा अन्ना .मदन जी आपने हम सब की बात कही है ,वक्त की आवाज़ कही है ,बधाई आपके इस ज़ज्बे को -जय अन्ना !जय भारत !




    Wednesday, August 24, 2011
    योग्य उत्तराधिकारी की तलाश .
    "एकदा "(नभाटा ,२४ अगस्त )में एक बोध कथा प्रकाशित हुई है "योग्य उत्तराधिकारी "ज़िक्र है राजा प्रसेनजित ने एक मर्तबा अपने पुत्रों की आज़माइश करने के लिए उन्हें खजाने से अपनी कोई भी एक मनपसंद चीज़ चुनने के लिए कहा .सभी पुत्रों ने अपनी पसंद की एक एक चीज़ चुन ली .लेकिन इनमे से एक राजकुमार ने महल के चबूतरे पर रखी "तुरही "अपने तैं चुनी .राजा प्रसेनजित ने आश्चर्य मिश्रित भाव से पूछा इस "रणभेरी "को तुमने वरीयता क्यों दी जबकी राजमहल में एक से बढ़के एक साज़ थे ."महाराज यह तुरही मुझे प्रजा से जोड़े रहेगी .हमारे बीच एक संवाद ,एक कनेक्टिविटी का सशक्त ज़रिया बनेगी .मेरे लिए सभी प्रजाजन यकसां प्रिय हैं .मैं चाहता हूँ मैं भी उनका चहेता बन रहूँ .परस्पर हम सुख दुःख बाँटें .मैं प्रजा के और प्रजा मेरे सुख दुःख में शरीक हो .राजा ने इसी राजकुमार को अपना उत्तराधिकारी बना दिया ।
    स्वतंत्र भारत ऐसे ही सुयोग्य उत्तराधिकारी की तलाश में भटक रहा है ।
    यहाँ कथित उत्तराधिकारी के ऊपर एक अमूर्त सत्ता है ,सुपर -पावर है जिसे "हाईकमान "कहतें हैं ।
    तुरही जिसके पास है वह राम लीला मैदान में आमरण अनशन पर बैठा हुआ है ।
    प्रधानमन्त्री नाम का निरीह प्राणि सात सालों से बराबर छला जा रहा है .बात भी करता है तो ऐसा लगता है माफ़ी मांग रहा है .सारी सत्ता लोक तंत्र की इस अलोकतांत्रिक हाई कमान के पास है .प्रधान मंत्री दिखावे की तीहल से ज्यादा नहीं हैं .न बेचारे के कोई अनुगामी हैं न महत्वकांक्षा ,न राजनीतिक वजन .
    यहाँ बारहा ऐसा ही हुआ है ,जिसने भी सुयोग्य राजकुमार बनने की कोशिश की उसके पैर के नीचे की लाल जाज़म खींच ली गई .बेचारे लाल बहादुर शाश्त्री तो इसी गम में चल भी बसे. ये ही वो शक्श थे जिन्होनें पाकिस्तान के दांत १९६५ में तोड़ दिए थे ।
    ब्लडी हाई -कमान ने शाश्त्री जी को ही उस मुल्क का मेक्सिलोफेशियल सर्जन बनने के लिए विवश किया .कभी सिंडिकेट कभी इन्दिकेट .इंदिरा जी ने खुला खेल फरुख्खाबादी खेला . जाज़म विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के नीछे से भी खींचा गया .महज़ हाईकमान रूपा पात्र -पात्राएं,पार्टियां बदलतीं रहीं .अटल जी अपने हुनर से सबको साथ लेने की प्रवृत्ति से पक्ष -विपक्ष को यकसां ,बचे रहे .चन्द्र शेखर जी का भी यही हश्र हुआ .आज खेला इटली से चल रहा है .बड़ा भारी रिमोट है .सात समुन्दर पार से भी असर बनाए हुए है .सुयोग्य उत्तराधिकार को नचाये हुए है .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  13. मदन जी आप फील्ड में रहके काम कर रहें हैं हौसला बनाए रहें आप ही अन्ना जी की ताकत है ,ऊर्जा है .....आपके हर लव्ज़ से सहमत हैं हम सभी ..इस ग़ज़ल का हर अलफ़ाज़ ,हर अशआर ,हमारे वक्त की आवाज़ अन्ना ,सरकार का ताबूत बनके रहेगा अन्ना .मदन जी आपने हम सब की बात कही है ,वक्त की आवाज़ कही है ,बधाई आपके इस ज़ज्बे को -जय अन्ना !जय भारत !




    Wednesday, August 24, 2011
    इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
    जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
    अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं . .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

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  14. ओजपूर्ण प्रस्तुति

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  15. हमारी हार्दिक शुभकामना है. हम सभी आपके साथ हैं. हमारी ही जीत होगी. सुन्दर पोस्ट.

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