Saturday, February 5, 2011

परम न्यायकारी इश्वर कभी भी किसी भी रीति से किये गए पापों को क्षमा नहीं करता
उसकी निश्चित  न्याय व्यवस्था से अच्छे कर्मों   का फल अच्छा तथा बुरे कर्मों का फल बुरा ही मिलता है
   -  महर्षि दयानंद सरस्वती

ज्योति जलाओ
प्रेम
डोर से , भेद कुमुद दिल ।
हार सजा लो  सबल निबल मिल।।

मिला पंछी स्वर , गीत चहचहाते।
फूलों को भौरें हैं संगीत सुनाते।।
आसमान की बहती पवन भी।
गाती गीत तरुवर से हिल मिल।।

स्वर लहरिओं से होकर प्रभावित।
मिल के कार्य करती संपादित।।
मानो स्वर्ग उतरा इस धरा पे।
जब मासूम मन हंसता खिल खिल।।

कुछ तो सोचो कुछ तो गुनगुनाओ।
बैर फूट छोड़ दिल को मिलाओ।।
उंच नीच के भाव को त्यागो।
लगा के हर जगह अपनी महफ़िल।।

जहाँ सुमति वहां उन्नति होगी
जहां कुमति वहाँ दुर्गति होगी।।
अगर चाहो उत्थान देश का
ज्योति जलाओ हर दिल से मिल।।

क्या है तेरा क्या है मेरा।
तोड़े आज नफ़रत की सारी  दीवारें।।
जाने कहाँ हम स्वर्ग खोजतें।
सभी पास हैं जहां हैं एक दिल।।

इन दिलों को प्रेम पाश से बांधो।
स्वार्थ, भय आलस त्यागो।।
कर्मशील बन जीवन पथ को।
सरल बनालो सब जन हिलमिल।।

8 comments:

  1. कुछ तो सोचो कुछ तो गुनगुनाओ।
    बैर फूट छोड़ दिल को मिलाओ।।
    उंच नीच के भाव को त्यागो।
    लगा के हर जगह अपनी महफ़िल।।.....

    बहुत सार्थक और अच्छी सोच ...
    सुंदर भावाभिव्यक्ति
    सार्थक लेखन.

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  2. बहुत सुंदर ... सार्थक सकारात्मक सन्देश लिए प्रभावी अभिव्यक्ति

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  3. आप एक बढिया कार्य कर रहे हैं, कृपया मेरे ब्ळोग पर पधारें http://ahsaskiparten-sameexa.blogspot.com/2011/02/intellectual-dwarfness.html#comments

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  4. bahut accha lekh,mansa vacha kermna teeno se subh aur pap kerma hote hai.inse se hamra jeevan banta hai

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  5. madan ji word verification hata de

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  6. इन दिलों को प्रेम पाश से बांधो।
    स्वार्थ, भय व आलस त्यागो।।
    कर्मशील बन जीवन पथ को।
    सरल बनालो सब जन हिलमिल...

    Beautiful creation !

    .

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  7. बहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !!

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  8. क्या है तेरा क्या है मेरा।
    तोड़े आज नफ़रत की सारी दीवारें।।
    जाने कहाँ हम स्वर्ग खोजतें।
    सभी पास हैं जहां हैं एक दिल।।

    वाह !सुंदर सोच !बधाई !

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