कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
हम सब मिलकर के गाएं.
हम सब करके दिखलाएं.
हम ऐसा विश्व बनाएं..
हम सब करके दिखलाएं.
हम ऐसा विश्व बनाएं..
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
वेदों का सन्देश सुनें हम.
उपनिषदों का ज्ञान पढें हम.
जग में एक गान गुन्जाएं..
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
उपनिषदों का ज्ञान पढें हम.
जग में एक गान गुन्जाएं..
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
ऋषियों का उपदेश सुनें हम.
शास्त्रों का विज्ञान गुनें हम.
मानव मानव यह गाए..
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
शास्त्रों का विज्ञान गुनें हम.
मानव मानव यह गाए..
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
सदाचार को सब अपनाएं.
श्रेष्ठ भाव सब मन में लाएं.
सारे जग को आर्य बनाएं..
श्रेष्ठ भाव सब मन में लाएं.
सारे जग को आर्य बनाएं..
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
कृण्वन्तो विश्वमार्यम्.
xxxxx
आज का लतीफा
आप........
रम की तरह मजबूत है.
रम की तरह मजबूत है.
शराब की तरह अच्छे है
बियर की तरह ठंडे है
व्हिस्की की तरह क्लासिक है
वोदका की तरह परिष्कृत है
संक्षेप में,
मैं आपकी दोस्ती में पूरी तरह से टुन्न हूँ
xxxx
तेरी याद में इतने पागल हुए,
मरने के लिए कीडे मारने की दवा लाये,
पर मरते क्या खाकर,
जब दवा में ही कीडे लग गए।
मरने के लिए कीडे मारने की दवा लाये,
पर मरते क्या खाकर,
जब दवा में ही कीडे लग गए।
मदन शर्मा जी, नमस्कार....आपके ब्लॉग में आकर अच्छा लगा, आप यूँ ही लिखते रहें, ईश्वर से कामना है, आभार.
ReplyDeletewaah kya baat hai
ReplyDeletemaja aa gya
bahut khub
..
आदरणीय मदन शर्मा जी,
ReplyDeleteनमस्कार....
हम सब मिलकर के गाएं.
हम सब करके दिखलाएं.
हम ऐसा विश्व बनाएं..
बहुत सुंदर कल्पना की है आपने ..काश हम ऐसा कर पाने में सफल हो पाते ....आपकी रचना में बहुत गहरा भाव छिपा है ...आप अनवरत रूप से लिखते रहें यही कामना है ...आपका शुक्रिया
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
ReplyDeleteवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
आदरणीय अरविन्द जांगिडजी ,दीप्ति शर्माजी , केवल रामजी आप सभी का दिल से आभार। आपकी टिप्पणियों से सही में उत्साह बढ़ता है।
ReplyDelete.
ReplyDeleteस्वर लहरिओं से होकर प्रभावित।
मिल के कार्य करती संपादित।।
मानो स्वर्ग उतरा इस धरा पे।
जब मासूम मन हंसता खिल खिल।।
मदन जी ,
इस मासूम मुस्कराहट के ज़िक्र से मन खुश होगया । इस बेहतरीन रचना के लिए आभार ।
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bahut thik likha hai aapne
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