अपाणिपादो जवनो ग्रहीता पश्यत्यचक्षु : सा श्रीनोत्वकर्ण :|
सा वेत्तिविश्वं न च तस्यास्ति वेत्ता तमहुरग्रयम पुरुषं पुराणं ||
( श्वेताश्वतरोपनिषद 3/4 )
परमेश्वर के हाथ नहीं परन्तु वह शक्ति रूप हाथ से ग्रहण करने की क्षमता रखता है, पग नहीं, परन्तु व्यापक होने से सबसे अधिक वेगवान है, चक्षु रहित होते हुवे भी वह सबको यथावत देखता है, श्रोत्र नहीं तथापि सब कुछ सुनता है, अन्त : करण नहीं, परन्तु सब जगत को जानता है, परन्तु उसे पूर्ण रूप से जानने वाला कोई नहीं, उसी को सनातन, सबसे श्रेष्ठ, सबसे पूर्ण होने से पुरुष कहते हैं.
प्राण जला कर हम देखेंगे, क्यों कर प्रकाश नहीं होता
हुआ अँधेरा महा घनेरा राह न देता दिखाई
छूटी आशा घिरा कुहासा चहुँ और निराशा छाईं
अज्ञान अविद्या और अत्याचार का कभी तो बंधन टूटेगा
कब तक रोकोगे सत्य के सूरज को कभी तो किरण फूटेगा
कितना ही छल बल फैलालो, द्वेष की दीवारें ऊँची कर लो
मानव को मानव से दूर करो या नफरत को उर में भर दो
जहरीली वाणी के संस्थापक बन, कब तक यूँ ही गाल बजाओगे
जब इस दावानल का अनल निगलेगा, फिर बच के कहाँ तुम जाओगे
स्वधर्म ध्वजा फहराने वालों, कितना द्वेष तुमने फैलाया है
बन धर्म सुधार के ठेकेदार, अपना अस्तित्व भी गंवाया है
सिर्फ लड़ना और लड़ाना सिखा, धर्म की गरिमा भूल गए
बिखरेगी टूटी माला सी, जो रेत का महल तुने उठाया है
मान बमों पर करने वाले, मानवता को क्या जाने
विस्फोट से इनको मतलब है, सद्धर्म भला ये क्या माने
कितनी देर भला लगती है, ऊपर से नीचे आने को
बस एक ही आंसू काफी है, महाभारत ठन जाने को
धीर वीर गंभीर नीर शमशीर तीर से कब रुकते हैं
होकर ये मजबूर, क्रूर शासक के आगे कब झुकते हैं
शासन जब दुशासन हो तो, गदा भीम की उठती है
बिखर जाएगा लहू छाती का, समरांगन रंग जाने को
ताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
निर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
परमाणु शक्ति भी फीकी होगी हमारे ढृढ़ हौसले के आगे
प्राण जला कर हम देखेंगे, क्यों कर प्रकाश नहीं होता
ओजपूर्ण भाव .... सुंदर सकारात्मक सोच को संप्रेषित करती रचना ......
ReplyDeleteताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
ReplyDeleteनिर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteकितना ही छल बल फैलालो, द्वेष की दीवारें ऊँची कर लो
मानव को मानव से दूर करो या नफरत को उर में भर दो
जहरीली वाणी के संस्थापक बन, कब तक यूँ ही गाल बजाओगे
जब इस दावानल का अनल निगलेगा, फिर बच के कहाँ तुम जाओगे
वाह!
बहुत बढ़िया.
मान बमों पर करने वाले, मानवता को क्या जाने
ReplyDeleteविस्फोट से इनको मतलब है, सद्धर्म भला ये क्या माने
कितनी देर भला लगती है, ऊपर से नीचे आने को
बस एक ही आंसू काफी है, महाभारत ठन जाने को"
वीर रस में ओत्पोत यह शानदार रचना मदन जी आप ही लिख सकते है -- बधाई हो !
बहुत ही सुंदर रचना, बार बार पढने को मन करता हे हे, धन्यवाद
ReplyDeleteकितना ही छल बल फैलालो, द्वेष की दीवारें ऊँची कर लो
ReplyDeleteमानव को मानव से दूर करो या नफरत को उर में भर दो
जहरीली वाणी के संस्थापक बन, कब तक यूँ ही गाल बजाओगे
जब इस दावानल का अनल निगलेगा, फिर बच के कहाँ तुम जाओगे.....
Very inspiring lines. Hatred is no solution. Sooner or later people have to realize this truth.
.
शासन जब दुशासन हो तो, गदा भीम की उठती है
ReplyDeleteyah jroori bhi hai
bahut achchha .badhaai ho
प्राण जला कर हम देखेंगे, क्यों कर प्रकाश नहीं होता
ReplyDeleteBahut hi sunder aur prernadayak panktiyan!
एकता की कर्मभूमि ! बेहद सुन्दर भाव पूर्ण !
ReplyDeleteकितना ही छल बल फैलालो, द्वेष की दीवारें ऊँची कर लो
ReplyDeleteमानव को मानव से दूर करो या नफरत को उर में भर दो
जहरीली वाणी के संस्थापक बन, कब तक यूँ ही गाल बजाओगे
जब इस दावानल का अनल निगलेगा, फिर बच के कहाँ तुम जाओगे
बहुत ही आक्रामक और जोश से भरी हुई रचना.बहुत-बहुत बधाई आपको /
ताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
ReplyDeleteनिर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
सुन्दर भाव, बहुत सुन्दर ओज से भरपूर , बधाई
मान बमों पर करने वाले, मानवता को क्या जाने
ReplyDeleteविस्फोट से इनको मतलब है, सद्धर्म भला ये क्या माने
कितनी देर भला लगती है, ऊपर से नीचे आने को
बस एक ही आंसू काफी है, महाभारत ठन जाने को
....बहुत ओजपूर्ण प्रेरक रचना..बहुत सुन्दर..बधाई
आपको पढ़ना और आपके ब्लॉग पर आना अच्छा लगा.
ReplyDeleteसुंदर सकारात्मक सोच को संप्रेषित करती रचना| धन्यवाद|
ReplyDeleteआपकी सकारात्मक सोच व उसकी इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति ने दिल को छू लिया |बहुत-बहुत बधाई |
ReplyDeleteवाह भाई , क्या सकारात्मकता है इन पंक्तियों में ..
ReplyDeleteबहुत खूब
मदन जी मेरा समर्थन करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
आगे भी आशीर्वाद दें
सही कहा----
ReplyDeleteबिनु पग चलै, सुनै बिनु काना ।
कर बिनु करै कर्म विधि नाना ।
धीर वीर गंभीर नीर शमशीर तीर से कब रुकते हैं
ReplyDeleteहोकर ये मजबूर, क्रूर शासक के आगे कब झुकते हैं
शासन जब दुशासन हो तो, गदा भीम की उठती है
बिखर जाएगा लहू छाती का, समरांगन रंग जाने को
उत्साह का संचार करती एक अनुपम रचना।
जबरदस्त,घनघोर गर्जना करती आपकी अनुपम उत्कृष्ट अभिव्यक्ति को शत शत प्रणाम.
ReplyDelete'
अज्ञान अविद्या और अत्याचार का कभी तो बंधन टूटेगा
ReplyDeleteकब तक रोकोगे सत्य के सूरज को कभी तो किरण फूटेगा
bahut sarthak bhavon ko ukera hai .badhai .
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ReplyDeleteअज्ञान अविद्या और अत्याचार का कभी तो बंधन टूटेगा
ReplyDeleteकब तक रोकोगे सत्य के सूरज को कभी तो किरण फूटेगा
जबरदस्त,घनघोर गर्जना करती आपकी अनुपम उत्कृष्ट अभिव्यक्ति
आज आपने ब्लॉग लेखन को सार्थक कर दिया साधुवाद !!!
....बहुत ओजपूर्ण प्रेरक रचना..बहुत सुन्दर..बधाई
ReplyDeleteताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
ReplyDeleteनिर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें
कब तक रोकोगे सत्य के सूरज को कभी तो किरण फूटेगा
ReplyDeleteबहुत अच्छे विचार रखे हैं आपने इन विचारों से कोई विरला ही होगा जो असहमत होगा.
बहुत ही सुंदर रचना, धन्यवाद
ReplyDeleteकवितायें तो असंख्य लोग लिखते हैं परन्तु, आप जैसी कृति दुर्लभ है आज के समय में और वह भी हिन्दी ब्लॉग जगत में...
ReplyDeleteओजपूर्ण भाव .... सुंदर सकारात्मक सोच को संप्रेषित करती रचना .....
कवितायें तो असंख्य लोग लिखते हैं परन्तु, आप जैसी कृति दुर्लभ है आज के समय में और वह भी हिन्दी ब्लॉग जगत में...
ReplyDeleteओजपूर्ण भाव .... सुंदर सकारात्मक सोच को संप्रेषित करती रचना .....
कितना ही छल बल फैलालो, द्वेष की दीवारें ऊँची कर लो
ReplyDeleteमानव को मानव से दूर करो या नफरत को उर में भर दो
जहरीली वाणी के संस्थापक बन, कब तक यूँ ही गाल बजाओगे
जब इस दावानल का अनल निगलेगा, फिर बच के कहाँ तुम जाओगे
बहुत सुंदर .... सच्ची और अच्छी अभिव्यक्ति.... बेहतरीन
... जी वाकई बहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteह्रदय से आभार ,इस अप्रतिम रचना के लिए...
ReplyDeleteआदरणीय मदन जी नमस्कार -
ReplyDeleteआप का बाल झरोखा-सत्यम की दुनिया में स्वागत है -आइये और अन्य ब्लॉग हमारे पढ़ें अपना सुझाव मार्गदर्शन दें
आप की जीवनी आप के बारे में पढ़कर बड़ी शांति मिलती है -धर्म के नाम पर लड़ना लोगों की आदत बन चुकी है कौन तर्क से मन जीतना चाहता है सच जब तर्क आप का जीतने लगे तो लोग पाँव सर पे रख भाग खड़े होते हैं
इस रचना का शीर्षक ही बड़ा प्यारा है जो सब कह जाता है
प्राण जला कर हम देखेंगे क्यों कर प्रकाश नहीं होता
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी
ReplyDelete>डा वर्षा सिंह जी
>श्री विशाल जी
>आदरणीय दर्शन कौर जी तथा
>श्री राज भाटिया जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .........
>डॉ॰ दिव्या जी
ReplyDelete>श्री जी एन शा जी
>श्री सुनील कुमार जी
>प्रेरणा अर्गल जी तथा
>अंजाना गुडिया जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .......
>श्री कैलाश शर्मा जी
ReplyDelete>कुंवर कुशमेश जी
>श्री पताली द विलेज जी
>श्री द्वारकेश जी तथा
>श्री अविनाश मिश्र जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .....
>डा श्याम गुप्ता जी
ReplyDelete>श्री महेंद्र वर्मा जी
>श्री राकेश कुमार जी
>शिखा कौशिक जी तथा
>श्री अजय तलवार जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ......
>शालिनी बिंद्रा जी
ReplyDelete>श्री यशपाल जी
>श्री शिव शंकर जी
>आशा जोगलेकर जी तथा
>श्रीअमरेन्द्र अमर जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ....
>सुनीता जी
ReplyDelete>रश्मि जी
>श्री सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद. आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है । आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .
ताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
ReplyDeleteनिर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
--
उपयोगी और बहुत शिक्षाप्रद पोस्ट!
ताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
ReplyDeleteनिर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
praan jalakar hum dekhenge kyun prakash nahi hota....bahut khoob sakaratmak rachna.badhaai dene par aapka haardk dhanyavaad.
ओजपूर्ण भाव .... सुंदर सकारात्मक सोच को संप्रेषित करती रचना ...
ReplyDeletesir ji jabardast post
ReplyDeleteaapka aabhar
aapne pukara or hum chale aaye
ReplyDeleteआपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ओज पूर्ण कविता आज के सन्दर्भ में सार्थक विषय के अनुकूल सार्थक विचार
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ReplyDeleteशुभागमन...!
ReplyDeleteकामना है कि आप ब्लागलेखन के इस क्षेत्र में अधिकतम उंचाईयां हासिल कर सकें ।
बेहतरीन सुंदर सकारात्मक सोच ! आभार...
very mindblowing post keep it up!
ReplyDeleteओजपूर्ण भाव .... सुंदर सकारात्मक सोच को संप्रेषित करती रचना .....
ReplyDeleteउपयोगी और बहुत शिक्षाप्रद पोस्ट!
ReplyDeleteराष्ट्र धर्म एवं मानवधर्म के सुन्दर भावों से सजी ओजपूर्ण रचना .....प्रभावशाली
ReplyDeleteगम्भीर वैचारिक सोच से उद्भूत एक सुंदर कविता बधाई
ReplyDeleteएक दिल को छूने वाला लेख जो दिल में बस जाये।
ReplyDeleteWow..such a good post...thanks Madan ji
ReplyDeleteमदर्स डे की शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक
ReplyDeletebahut hi badhiyaa
ReplyDeleteताज भले मोहताज बने, पर इतिहास तो दास नहीं होता
निर्णय एक पल में हो जाए, क्या तुम्हे विश्वास नहीं होता
प्रिय मदन भाई,
ReplyDeleteआपकी २ दिन पहले की एक नयी पोस्ट मेरे डेस् बोर्ड पर दिखलाई दे रही है, पर यहाँ आकर यही पोस्ट देखने को मिल रही है.मुझे कारण समझ नहीं आ रहा है.
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ReplyDeleteप्रतीक्षा है आपकी अगली पोस्ट का ...
ReplyDeleteआदरणीय मदन शर्माजी
ReplyDeleteसादर अभिवादन
बहुत ही अच्छा लिखा है !
बहुत दिन बाद आया आपके ब्लॉग पर क्या करे इम्तेहान चल रहे है
ReplyDeleteमदन जी नमस्ते! बहुत देर से आने का मौका मिला इसके लिए माफ़ कीजियेगा
ReplyDeleteआपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें!
बहुत ही सुंदर रचना, बार बार पढने को मन करता हे हे, धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना, बार बार पढने को मन करता हे हे, धन्यवाद
ReplyDeleteमदन जी मेरे कमेंट्स कहाँ kho gaye
ReplyDeleteमदन जी मेरे कमेंट्स कहाँ kho gaye
ReplyDeleteमदन जी मेरे कमेंट्स कहाँ kho gaye
ReplyDeleteकिसी भी रचना की पहचान उसके शीर्ष से ही हो जाती है... आपके इस ओजपूर्ण गीत का शीर्षक ही उत्साह से भर देता है, उद्वेलित कर देता है.
ReplyDeleteभाव श्रेष्ठ हों तो ......... छंद तोड़ कर या बिना सांचों के भी भावों को जब व्यक्त करोगे तो सराहे ही जाओगे.
कितनी देर भला लगती है, ऊपर से नीचे आने को
ReplyDeleteबस एक ही आंसू काफी है, महाभारत ठन जाने को
....
बहुत ओजपूर्ण और सार्थक रचना..बहुत सकारात्मक और प्रेरक प्रस्तुति..
>डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी
ReplyDelete>राजेश कुमारी जी
>ओम कश्यप जी
>संजय भास्कर जी तथा
>प्रभागौतम जी आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद.
आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है ।
आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा .....
>जयंत पाटिल जी
ReplyDelete>संध्या शर्मा जी
>अंकुर शाह जी
>सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी तथा
>अमृता तन्मय जी आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद.
आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है ।
आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ....
>जाट देवता (संदीप पवाँर जी )
ReplyDelete>गोपाल मिश्र जी
>रश्मि प्रभा जी
>राकेश कुमार जी तथा
>सवाई सिंह राजपुरोहित जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद.
आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है ।
आशा है आपका मार्गदर्शन यूँ ही निरंतर प्राप्त होता रहेगा ...
> पूनमसिंह जी
ReplyDelete>प्रतुल वशिष्ठ जी तथा
> Kailash Chandra Sharma जी
आपका यहाँ आने के लिए धन्यवाद.
आपको मेरे प्रयास की सराहना करने के लिये आभार...
आपका प्रोत्साहन सदैव आवश्यक है
आदरणीय राकेश कुमार जी नमस्ते ! मैंने नया पोस्ट लिखा तो था
ReplyDeleteलेकिन ना जाने क्यों वो पोस्ट करने के बाद भी नजर नहीं आई
हो सकता है कुछ तकनिकी खराबी हो .
आज कल गूगल का ब्लाग मेंटिनेन्स का कार्य चल रहा है
शायद बाद में दिखाई पड़े .
आपका मुझ पर कृपा दृष्टि रखने के लिए धन्यवाद.
पूनमसिंह जी नमस्ते ! मैंने आपकी टिप्पणी देखी तो थी लेकिन वह कहाँ चली गयी ये तो गूगल भगवान् ही जाने .
ReplyDeleteआज कल गूगल का ब्लाग मेंटिनेन्स का कार्य चल रहा है
शायद बाद में दिखाई पड़े .
आपका देर से ही सही मेरे पोस्ट पर आने का धन्यवाद.
वैसे मेरी आपको सलाह है की पढ़ाई सर्वप्रथम जरुरी है
aapne maharshi dayanand ji ki bhawana ko prakat kiya hai dhanyavad.
ReplyDeleteaapka mere blog par swagat hai
aapne maharshi dayanand ji ki bhawana ko prakat kiya hai dhanyavad.
ReplyDeleteaapka mere blog par swagat hai.
बहुत सुंदर ....इस उत्साहवर्द्धक कविता के लिए हार्दिक बधाई...
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत उम्दा!!
ReplyDeletePrerak sunder ojaswee bhavo kee behatreen abhivykti.......
ReplyDeleteAabhar
आदरणीय मदन शर्मा जी...सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दों में बेहतरीन सुंदर सकारात्मक सोच
ReplyDeletehttp://shayaridays.blogspot.com
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है, इसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है
ReplyDelete